समझौता भाग :- ११ ( अंतिम भाग )
भाग :- ११
कर्नल राजीव रंजन शुक्ला की सेवा किए जाने की वजह से दूसरे दिन ही नीरा की तबीयत संभलने लगी थी।दो दिन बाद बारिश का माहौल खत्म हुआ तो नीरा को सामान्य शिविर में लाया गया साथ में हृदयपुर के गांव वाले भी थे। दो दिनों में कर्नल राजीव रंजन शुक्ला ने नीरा की बहुत देखभाल की थी और जिसकी वजह से वह ठीक भी हो चुकी थी।
हमारे समाज में कुछ लोग अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे भी। हर गांव की तरह हृदयपुर गांव में भी कुछ ऐसे लोग थे जो कर्नल राजीव रंजन शुक्ला की इंसानियत को आदमी और औरत के बीच के संबंध से जोड़ रहे थे। राजीव रंजन शुक्ला ने उन लोगों को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन गांव वाले समझने को तैयार नहीं हुआ मेरा ने भी सफाई दे लेकिन उसकी भी कोई सुनने वाला नहीं था।
जब स्थिति बेकाबू होने लगी तो सभी फौजी भाइयों ने कर्नल राजीव रंजन शुक्ला को यह सुझाव दिया कि वैसे भी आपकी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं है।आप नीरा से शादी कर लें। नीरा भी कुछ बोल नहीं पा रही थी उसे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? रजनीश भी चुपचाप एक तरफ खड़ा था।गांव वालों का विरोध वह कर नहीं सकता था क्योंकि वह इतना समर्थवान नहीं था कि नीरा को प्यार करते हुए भी उस वक्त अपना ले क्योंकि उसे यह डर लग रहा था कि अभी यदि अगर मैंने नीरा से शादी कर ली तो उसके माता-पिता उसे अपनाएंगे नहीं इसलिए दीवार के एक कोने में खड़ा बस सब तमाशा देखे जा रहा था। नीरा ने जब देखा कि उसका अपना प्यार ही उसका साथ नहीं दे रहा है तो वह बेचारी क्या बोलती ? वह मौन ही रही।
गांव वालों ने कर्नल राजीव रंजन शुक्ला के हाथों नीरा की मांग भरवा दी और उसके बाद शुरू हुआ एक ऐसा समझौता जो आजीवन चलने वाला था।
समाप्त
गुॅंजन कमल 💓💞💗
# माॅनसून स्पेशल
Mahendra Bhatt
26-Aug-2022 05:57 PM
बेहतरीन अंत
Reply
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
14-Aug-2022 12:36 PM
शानदार अंत
Reply
Reena yadav
13-Aug-2022 08:32 AM
बहुत ही सुन्दर कहानी लिखी है आपने 👍👍 कहानी का अंत भी बहुत खूबसूरत रहा👍👌🇮🇳🥰
Reply